Sat. Apr 27th, 2024

वाराणसी। वैश्वीकरण के युग में, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और आदान-प्रदान में वृद्धि के साथ, बीमारियाँ दूर-दूर तक तेजी से फैल सकती हैं। एक देश में स्वास्थ्य संकट दूसरे देशों की आजीविका और अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है। इसलिए 21वीं सदी में एक देश से दूसरे देश में बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इसमें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम – 2005 बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए प्रवेश के अंतर्राष्ट्रीय बिंदुओं यानी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और भूमि सीमापार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय एक वैधानिक आवश्यकता है। गतिशील वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य की पृष्ठभूमि में, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) का प्रभावी कार्यान्वयन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधारशिला बन गया है। वर्ष 2007 से आईएचआर ढांचे को मील का पत्थर बनाने, उसके ढांचे को सुदृढ़ करने, रणनीतियों को विकसित करने और चिन्हित चुनौतियों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण यात्रा तय की है। इसके कार्यान्वयन के प्रवेश बिंदुओं (प्वोइंट ऑफ एंट्री – पीओई) द्वारा महत्वपूर्ण निभाई जा रही है, जो संक्रामक रोगों और वैश्विक स्वास्थ्य खतरों के प्रवेश के खिलाफ अग्रिम पंक्ति के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।

उक्त बातें स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक प्रो डॉ अतुल गोयल ने रविवार को बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फैसिलिटी सेंटर (टीएफ़सी) में आयोजित तीन दिवसीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्वोइंट ऑफ एंट्री (2023-24) की वार्षिक समीक्षा बैठक में कहीं। डॉ अतुल गोयल की अध्यक्षता एवं एलपीएआई सचिव विवेक वर्मा, संयुक्त सचिव गुलाम मुस्तफा, अपर महानिदेशक डॉ० एस सेंथुनाथन, एनसीडीसी के पूर्व प्रधान सलाहकार डॉ० सुजीत कुमार सिंह, पीएचओ कोलकाता/निदेशक एआईआईपीएच प्रो. डॉ० रंजन दास, आईएमएस बीएचयू डीन (शोध) डॉ० गोपालनाथ, स्टेट सर्विलान्स ऑफिसर डॉ० विकासेंदु अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० संदीप चौधरी की उपस्थिती में बैठक का शुभारम्भ किया गया। बैठक में देश के समस्त राज्यों व संघ शासित प्रदेशों में स्थित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के प्रमुख अधिकारी, एनसीडीसी, एआईआईएचपीएच के अधिकारी व स्टेकहोल्डर शामिल रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों (पीओई) के द्वारा किए गए वर्ष पर्यंत प्रदर्शन की समीक्षा की गई। साथ ही उसमें सुधार और आकलन करने को लेकर की गहन संवाद व चर्चा की गई, जिनकी भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) का अनुपालन करने के लिए पीओई में आवश्यक क्षमताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण है।

डॉ० अतुल गोयल ने कहा कि प्रवेश बिंदु (पीओई) का अर्थ वह क्षेत्र है जहां कोई भी अंतरराष्ट्रीय यात्री एक देश से दूसरे देश में कानूनी रूप से प्रवेश कर सकता है। भारत में, हवाईअड्डों, बंदरगाहों व भूमि सीमा पर निगरानी और प्रतिक्रिया स्वास्थ्य गतिविधियों के लिए उपाय करने के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य इकाइयों को एपीएचओ (हवाई अड्डा स्वास्थ्य संगठन), पीएचओ (बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन) और भूमि सीमा स्वास्थ्य इकाइयों (एलबीएचयू) के रूप में जाना जाता है। संयुक्त निदेशक डॉ० गुलाम मुस्तफा ने कहा कि इन संगठनों का प्राथमिक उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार संक्रामक रोगों व पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) के प्रवेश और संचरण को रोकना है, साथ ही यात्रियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है जो पीओई में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के लिए मुख्य क्षमता की आवश्यकता को पूरा करता है। इन प्रवेश बिंदुओं पर स्वास्थ्य उपाय अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (डब्ल्यूएचओ- आईएचआर 2005) के अनुसार और भारतीय विमान (सार्वजनिक स्वास्थ्य) नियमों और भारतीय बंदरगाह स्वास्थ्य नियमों के अनुसार किए जाते हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के लिए मुख्य क्षमता की आवश्यकता को पूरा करता है। वर्ष 2007 से 2024 की अवधि में भारतीय संदर्भ में आईएचआर प्रोटोकॉल की समझ और निष्पादन में परिवर्तनकारी परिवर्तन देखे गए हैं। संक्रामक रोगों के निरंतर विकास, उभरते स्वास्थ्य खतरों और वास्तविक समय निगरानी की आवश्यकता ने एक मजबूत पीओई प्रबंधन प्रणाली के महत्व को बढ़ा दिया है। यह प्रवेश बिंदु न केवल व्यापार और यात्रा के लिए प्रवेश द्वार बन गए हैं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के जटिल नेटवर्क में भी महत्वपूर्ण नोड बन गए हैं। पीओई संगठनों ने पीएचईआईसी जैसे एच1एन1, इबोला, जीका, कोविड-19 महामारी के दौरान अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग में और नियमित रूप से पीले बुखार, पोलियो आदि जैसे स्वास्थ्य खतरों के लिए स्क्रीनिंग में एक बड़ी भूमिका निभाई है।

डॉ० गुलाम मुस्तफा ने कहा प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएमएबीएचआईएम) के ढांचे के भीतर प्रवेश बिंदुओं (पीओई) को मजबूत करने की कल्पना की गई है और इसे प्राथमिकता दी गई है। स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में पीओई संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, पीएमएबीएचआईएम बेहतर महामारी तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं के लिए उनकी क्षमता, दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने पर महत्वपूर्ण जोर देता है। दो दिवसीय बैठक में भारत में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होगी, जिसमें प्रवेश बिंदु (पीओई) पर नियमित गतिविधियों और संभावनाओं का अवलोकन, नामित और महत्वाकांक्षी पीओई दोनों में अंतर्दृष्टि, अनुभव शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सत्र एसईएआर देशों में एपीएचओ और पीएचओ की नेतृत्व भूमिकाओं, पीओई में वेक्टर निगरानी और नियंत्रण के लिए नए ऐप्स के ड्राई रन और पीओई में भोजन के नमूने के लिए प्रोटोकॉल का पता लगाते हैं। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) द्वारा कीटाणु शोधन प्रोटोकॉल और वैज्ञानिक रिपोर्ट लेखन और परिचालन अनुसंधान के अवसरों पर भी चर्चा होगी।

शुभारंभ समारोह में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा, पीएचआईएच, प्वाइंट ऑफ एंट्री हेल्थ संगठनों यानि हवाई अड्डा स्वास्थ्य संगठनों, पीएचओएस, भूमि सीमा स्वास्थ्य संगठन/इकाइयों, एनसीडीसी के संयुक्त निदेशक डॉ० एके यादव, डॉ० अवनीन्द्र द्विवेदी, डॉ० ज़री अंजुम, एपीएचओ वाराणसी डॉ० प्रतीक, हेल्थ इंस्पेक्टर जीतेश, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ० रेनू रघु, एआईआईएचपीएच के अधिकारी शामिल रहे। इसके साथ ही भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण, एमओसीए, जहाजरानी मंत्रालय, हवाईअड्डा संचालक, राज्य स्वास्थ्य विभाग, भारत सरकार के गणमान्य व्यक्ति भी शामिल रहे। समारोह का संचालन डॉ मीरा धुरिया ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिखा धवन ने दिया।

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