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वाराणसी। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जनपद में चोलापुर ब्लॉक और जैतपुरा क्षेत्र के पाँच वार्डों में 10 फरवरी से 28 फरवरी तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान संचालित किया जा रहा है। इसकी ज़मीनी प्रगति जानने के लिए भारत सरकार की नेशनल टीम ने मंगलवार को दोनों क्षेत्रों में भ्रमण कर अभियान का अवलोकन किया। इस दौरान टीम ने क्षेत्र में कार्य कर रहे दवा सेवन कर्मियों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ गृह भ्रमण कर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा के सेवन करने के लिए प्रेरित किया। मौके पर लोगों ने टीम के सामने दवा का सेवन किया, साथ ही समुदाय में अन्य लोगों को दवा का सेवन कराने के लिए उन्हें जागरूक करने की अपील की।

भारत सरकार से आई नेशनल टीम में बिल एंड मिलांडा गेट्स फ़ाउंडेशन (बीएमजीएफ़) से नेग्लेक्टेड ट्रोपिकल डीजीज (एनटीडी) उन्मूलन कार्यक्रम के कंट्री लीड डॉ भूपेंद्र त्रिपाठी एवं डब्ल्यूएचओ के स्टेट कंसल्टेंट डॉ तनुज शामिल रहे। नेशनल टीम के साथ जनपद मुख्यालय से जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद पाण्डेय, बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), पाथ, पीसीआई व फाइलेरिया उपचार आईएडी सेंटर के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सबसे पहले टीम ने जैतपुरा क्षेत्र के रसूलपुरा वार्ड का भ्रमण किया और साथ ही इन्कार करने वाले दो परिवारों को अभियान का महत्व समझाकर कर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया। क्षेत्र में काम कर रही स्वास्थ्य टीम का फैमिली रजिस्टर जांच कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए तथा जागरूकता पर ज़ोर दिया। इस दौरान टीम ने बुनकर अस्पताल की प्रबंधन इकाई एवं बुनकर समुदाय के लोगों से अभियान में सहयोग करने की अपील की। फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्य के रूप में सिविल डिफेंस के वार्डन अतीक अहमद ने भ्रमण के दौरान बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया। जैतपुरा पीएचसी पर बैठक कर स्टाफ एवं आशा कार्यकर्ताओं को दवा खाने से इन्कार करने वाले परिवारों को जागरूक करने की रणनीति बनाई एवं आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए।

नेशनल टीम ने चोलापुर ब्लॉक पहुँचकर सर्वप्रथम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर लगे बूथ पर अधीक्षक डॉ आरबी यादव के समक्ष फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया। अधीक्षक के साथ बैठक कर फाइलेरिया संबंधी समस्त दस्तावेज़ को जांचा। तत्पश्चात जगदीशपुर गाँव पहुँचकर वहाँ कार्य कर रही स्वास्थ्य टीम के साथ घर-घर जाकर लोगों से फाइलेरिया रोधी दवा खाने को लेकर जानकारी ली। स्वास्थ्य टीम का सहयोग कर रहे फाइलेरिया ग्रसित मरीज एवं वालंटियर का उत्साहवर्धन भी किया। स्वास्थ्य टीम के फैमिली रजिस्टर, घर-घर सर्वेक्षण, इन्कार करने वाले परिवारों समेत आदि अन्य विषयों के बारे में जानकारी ली और उन्हें शत-प्रतिशत पूरा करने का निर्देश दिया।

कंट्री लीड डॉ० भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा फाइलेरिया, एक गंभीर व लाइलाज बीमारी है। इसको हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है। यह हाथ, पैरों, महिलाओं के स्तन और पुरुषों के अंडकोष (हाइड्रोसिल) में होता है। इसका वाहक क्यूलेक्स मादा मच्छर व्यक्ति को ज़िंदगी भर के लिए विकलांग बना सकता है। इसके लक्षण 5 से 10 साल के बाद दिखाई देते हैं। ऐसे में लक्षण हो या न हों फाइलेरिया रोधी दवा अवश्य खाएं। दवा खाने से कोई भी इन्कार न करे और दूसरों को दवा खाने के लिए प्रोत्साहित करें। बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी को खिलाई जा रही है। इस अभियान से जुड़कर फाइलेरिया मुक्त प्रदेश व जनपद बनाने में सरकार का सहयोग करें।

विजिट के दौरान स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शिखा श्रीवास्तव, बीसीपीएम सीमा यादव, एएनएम, आशा कार्यकर्ता एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे।

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