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वाराणसी। बाबा श्री काशी विश्वनाथ के धाम में बनवासी और गिरिवासी समाज द्वारा धर्म, संस्कृति, परम्परा के संरक्षण व संवर्धन हेतु 111 प्रतिनिधि, 13 जिले, 45 विकास खण्डों और 1828 गांवों के 18 जनजाति समूहों के लोग भी मंदिर में शीश नवाया। इस दौरान बाबा के धाम में आदिवासियों का भव्य स्वागत किया गया। मंदिर चौक गेट पर 150 महिलाओं एवं पुरुषों ने पुष्प वर्षा किया गया।

मंदिर में आदिवासियों का हुआ भव्य स्वागत

समाज के लोग अपने परम्परा एवं विधि का निर्वाह करते हुए वाद्य यंत्रों की ध्वनि से मंदिर में प्रवेश किया। इस दौरान महिलाओं के माथे पर कलश और हाथों में तख्तियां थी। हर तरफ बाबा भोलेनाथ का जयकारा गूंज रहा था। मंदिर के चौक क्षेत्र में ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों उच्चारण के बीच भव्य स्वागत किया गया।

आदिवासियों ने प्राकृतिक परंपरा से किया गया बाबा की आराधना

इस संदर्भ में जनजातीय सुरक्षा मंच के आनंद ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी में तीनों लोकों के स्वामी आदि विश्वेश्वर देवाधिदेव महादेव काशी विश्वनाथ उन्होंने कहा सम्पूर्ण जगत में सनातन धर्म, संस्कृति, परम्परा के संरक्षण व संवर्धन का प्रतीक है।

मंदिर चौक में आदिवासियों ने काशी के संतों का साथ किया मंथन

जनजातीय सुरक्षा मंच के आनंद ने कहा कहा कि हम सभी का बाबा के धाम में भव्य स्वागत किया गया। समाज के लोगों ने बाबा का दर्शन किया। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने रीति-रिवाजों और परंपरा को बदले लेकिन सनातन काल से आदिवासी इस रीति रिवाज और परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के संस्कृति पर खतरा उत्पन्न हुआ है इसलिए हम लोग बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना किया और इस सांस्कृतिक राजधानी में मंथन भी किया।

बाबा विश्वनाथ धाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन

धाम के चौक क्षेत्र में विभिन्न कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां की गई। काशी के संतों एवं उत्तर प्रदेश आदिवासी समाज द्वारा चर्चा की गई। एवं जनजाति गौरव कि विमोचन किया गया।

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