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वाराणसी। जनपद के चोलापुर ब्लॉक एवं जैतपुरा क्षेत्र में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामूहिक दवा सेवन ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान के तहत समुदाय को जागरूक कर दवा खिलाई जा रही है। यह अभियान दस फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा। विभागीय स्वास्थ्य कर्मी फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इस कार्य में फाइलेरिया पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म के सदस्य, सामुदायिक वालंटियर एवं सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी अभियान में जुटे हुए हैं।

ज्ञात हो तो किसी कारणवश दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों की सूचना आशा कार्यकर्ता, प्लेटफॉर्म के सदस्यों को देती हैं। तो आशा के साथ फाइलेरिया रोगी व अन्य सदस्य उस परिवार से मिलकर उन्हें मच्छर जनित फाइलेरिया बीमारी की गंभीरता समझाते हैं। साथ ही इससे बचाव के लिए दवा का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इसी का परिणाम है कि चोलापुर ब्लॉक और शहर में जैतपुरा क्षेत्र में दवा सेवन से इन्कार करने वाले करीब 96 फीसदी लोगों को जागरूक कर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जा चुका है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ० संदीप चौधरी ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि फाइलेरिया एक मच्छर जनित लाइलाज व गंभीर बीमारी है। फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन से ही इसका बचाव किया जा सकता है। बिना किसी डर या भ्रांति के दवा का सेवन करें। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्य कर्मी दवा खिलाने घर पर आएं तो दवा खाने से इनकार न करें, उनके सामने ही दवा खाएं।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरत चंद पाण्डेय ने बताया कि यह अभियान 28 फरवरी तक चलेगा। अभियान को सफल बनाने के लिए विभागीय स्वास्थ्यकर्मी, पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म के सदस्य एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि लोगों को फाइलेरिया की गंभीरता और इससे बचाव के बारे में जागरूक कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म में स्टेक होल्डर के रूप में जुड़े कोटेदार, शिक्षक, ग्राम प्रधान आदि लोगों को दवा खाने के लिए जागरूक कर रहे है। उन्होंने बताया कि 10 फरवरी से अब तक लक्ष्य के सापेक्ष चोलापुर व जैतपुरा क्षेत्र में 75 फीसदी आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जा चुका है। जबकि दवा खाने से इन्कार करने वाले 96 प्रतिशत लोगों को जागरूक कर दवा खिलाई जा चुकी है।

डीएमओ ने बताया कि नगर व ग्रामीण के कुछ क्षेत्रों में दवा खाने को लेकर भ्रांतियां देखने को मिल रही हैं लेकिन व्यवहार परिवर्तन होने के बाद उन्होंने भी दवा का सेवन किया है। इस तरह की चुनौतियां के चलते वह स्वयं स्वास्थ्यकर्मियों के साथ संबंधित क्षेत्र में भ्रमण कर समुदाय को जागरूक कर रहे हैं।

पहले किया इन्कार, फिर हुए तैयार : चोलापुर ब्लॉक के बजड़ापुर गाँव में आशा कार्यकर्ता सावित्री जब माइक्रोप्लान के अनुसार घर-घर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने के लिए वहाँ पहुंची तो उनमें से कुछ परिवार के सदस्यों ने अलग-अलग बहाने बनाकर दवा खाने से इनकार कर दिया। ऐसे में दूसरे दिन आशा कार्यकर्ता, वालंटियर ज्योति तथा फाइलेरिया रोगी व प्लेटफॉर्म के सदस्य अवध राज के साथ उन घरों में गईं, जहां लोगों ने दवा खाने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद घर के लोगों को समझाया कि यह गंभीर व लाइलाज बीमारी है जिसके लक्षण 5 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। एक बार लक्षण आ जाने पर इसका कोई उपचार नहीं है।

यदि हम लगातार पाँच साल तक साल में एक बार दवा का सेवन करेंगे तो सभी लोग इस बीमारी से बचे रहेंगे। हम सभी ने भी इस दवा का सेवन किया है। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। भविष्य में किसी को यह बीमारी न हो, इसके लिए यह दवा खिलाई जा रही है। इसके बाद घर के सभी लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया। इसके अलावा जैतपुरा क्षेत्र के रसूलपुरा वार्ड में भी इनकार करने वाले लोगों को जागरूक कर दवा खिलाई जा रही है।

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