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वाराणसी। बच्चों को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) और डिप्थीरिया (गलघोंटू)-पर्ट्यूसिस (काली खांसी) और टिटनेस (डीपीटी) से बचाव के लिए बृहस्पतिवार को जनपद के सरकारी व निजी क्षेत्र के स्कूलों, विद्यालयों में विशेष टीकाकरण अभियान चलाया गया। इस दौरान बच्चों में काफी उत्साह भी देखने को मिला। साथ ही बच्चों में टीका लगवाने की उत्सुकता भी दिखी। बृहस्पतिवार को लंका स्थित तुलसी निकेतन स्कूल व संकट मोचन स्थित भोगावीर महामना मदन मोहन स्कूल सहित विभिन्न स्कूलों में पाँच वर्ष से 16 वर्ष तक के बच्चों को टीका लगाया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ० संदीप चौधरी ने बताया कि डिप्थीरिया की रोकथाम व बचाव के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों को डीपीटी व टीडी का टीका लगाने का विशेष अभियान शुरू हुआ है, जो 10 नवंबर तक जनपद के समस्त सरकारी व निजी क्षेत्र के स्कूलों में चलेगा। स्कूल आधारित यह विशेष टीकाकरण अभियान बुधवार एवं शनिवार को छोड़कर समस्त राजकीय एवं निजी स्कूलों में आयोजित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि कक्षा एक में अध्ययनरत पाँच वर्ष तक के बच्चों को डीपीटी बूस्टर डोज, कक्षा पाँच में अध्ययनरत 10 वर्ष तक के बच्चों को टीडी डोज़, कक्षा 10 में अध्ययनरत 16 वर्ष तक के बच्चों को टीडी डोज़ से आच्छादित किया जा रहा है। अभियान के दौरान पड़ने वाले नियमित टीकाकरण दिवसों (बुधवार व शनिवार) में सभी स्कूल न जाने वाले एवं अन्य डीपीटी बूस्टर, टीडी एवं टीडी बूस्टर डोज़ वैक्सीन से छूटे हुये बच्चों को ड्यू टीके से आच्छादित किया जायेगा।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (प्रतिरक्षण) डॉ० एके मौर्या ने बताया कि इस विशेष टीकाकरण अभियान के तहत जनपद के 1907 स्कूलों को कवर किया जा रहा है। इसमें कक्षा एक में अध्ययनरत पाँच वर्ष के 96052 बच्चे, कक्षा पाँच में अध्ययनरत दस से 11 वर्ष के 103748 बच्चे और कक्षा 10 में अध्ययनरत 15 से 16 वर्ष के 25853 बच्चे शामिल हैं। इस तरह देखा जाए तो इस अभियान में करीब 2.25 लाख बच्चों को आच्छादित किया जा रहा है। नगर के करीब 472 स्कूलों में लगभग 1.18 लाख बच्चों को कवर किया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न स्कूलों में करीब 1561 सत्र भी निर्धारित किए गए हैं जहां उन्हें उम्र के अनुसार डीपीटी बूस्टर, टीडी और टीडी बूस्टर डोज़ लगाई जा रही है।

लाभार्थी बच्चों के बोल : तुलसी निकेतन स्कूल के पाँचवीं कक्षा के प्रत्युष पाठक ने कहा “आज मैंने मम्मी-पापा की सहमति से स्कूल में ही टीडी का टीका लगवाया है। इसमें मुझे कोई डर नहीं लगा। सुई लगते समय बस थोड़ी सी झनझनाहट सी हुई थी, लेकिन उसके थोड़ी देर बाद वह भी सही हो गई”। पाँचवीं की ही अनन्या मिश्रा ने कहा “मैंने घर वालों की अनुमति से टीडी का टीका लगवाया है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। ऐसे ही रिया तिवारी, याशिका व भोगावीर महामना स्कूल में पाँचवीं के आर्यन, शैलू, आस्था, काजल, अंजली ने भी टीडी का टीका लगवाया।

इस दौरान एएनएम अंतिमा व मिंता, आशा अंजली श्रीवास्तव, शिक्षक रीता राय, रितु शर्मा, सुमिता ठाकुर व अंजु तिवारी, डबल्यूएचओ से सतरूपा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

बच्चों को डिप्थीरिया व टीडी का टीका जरूर लगवाएं : एसीएमओ डॉ० एके मौर्य ने बताया कि डिप्थीरिया छोटे बच्चों का एक संक्रामक रोग है। यह अक्सर दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों में अधिक होता है। यह बीमारी कॉरीनेबैक्टेरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। यह बीमारी अक्सर बच्चों की पेंसिल, लेखनी आदि वस्तुओं को मुंह में रखने और बलगम से दूसरे लोगों में फैलती है। यह बैक्टीरिया टॉन्सिल व श्वांस नली को संक्रमित करता है। संक्रमण से झिल्ली बन जाती है जिससे सांस लेने में रुकावट पैदा होती है। कुछ मामलों में यह गंभीर स्थिति में पहुँच जाती है। उन्होंने बताया कि ऐसा देखा गया है कि टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों में बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन की दिक्कत हो सकती है। यह सामान्य प्रतिक्रिया है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा होने पर एएनएम से सलाह अवश्य लें।

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